5 EASY FACTS ABOUT BAGLAMUKHI SADHNA DESCRIBED

5 Easy Facts About baglamukhi sadhna Described

5 Easy Facts About baglamukhi sadhna Described

Blog Article



“शुक्ल यजुर्वेद माध्यन्दिनि संहिता‘ के पाँचवें अध्याय की २३, २४, २५ वीं कण्डिकाओं में अभिचार-कर्म की निवृत्ति में श्रीबगला महा-शक्ति का वर्णन इस प्रकार आया है-

Mastery inside of a undertaking can only be achieved by way of a Expert. Mastery means effectiveness. Much like an individual desires to create an idol, then He'll do the perform of that idol that's proficient Within this artwork and the learners want to know the ability of idol from him.

For Bagalamukhi Sadhana, you don’t need to go to the temple. It is best to carry out Sadhana below a educated Expert but, if nobody is about, you can also conduct it by yourself. Just, make sure that you don’t do any faults.

उ. देवी को सुगंधित द्रव्य-मिश्रित जल से स्नान करवाने के उपरांत गुनगुना जल ड़ालकर महाभिषेक स्नान करवाएं। महाभिषेक करते समय देवी पर धीमी गति की निरंतर धारा पड़ती रहे इसका ध्यान रखें। इसके लिए अभिषेकपात्र का प्रयोग करें। संभव हो तो महाभिषेक के समय विविध सूक्तों का उच्चारण करें।

तुरंत संपर्क करना है? अपने नाम, ईमेल और मोबाइल नंबर के साथ हमसे संपर्क करें और विशेषज्ञ की सलाह और समाधान के साथ उत्तर पाएं।

पहले से किसी साधना में मंत्र जाप की हुई माला इस साधना में प्रयोग नहीं की जा सकती

The devotee must use yellow coloured clothes. Produce a mala by tying variety of knots consisting of turmeric in it and recite the mantra 1 lakh periods.

पीली हल्दी की या पीली हकीक की माला से मंत्र जाप करना चाहिये

इस प्रकार स्पष्ट होता है कि ‘स्वतन्त्र तन्त्र’ में उल्लिखित कथा और ‘कृष्ण यजुर्वेद’ के दोनों मन्त्रों में कथित श्रीबगला-तत्त्व अभिन्न हैं।

Vishnu manifested as Mohini, an unparalleled splendor, in order to draw in and damage Bhasmasur an invincible demon.

Dwelling Wife Never determine what transpired but I started dropping confidence in my legislation profession. I are a constructive individual my

माँ बगलामुखी की साधना baglamukhi sadhna एक प्राचीन और गोपनीय साधना है इस साधना की जानकारी किसी भी website आगम निगम ग्रंथो में उपलब्ध नहीं है । इस साधना की महिमा के बारे में जरूर बताया गया है । और इस के स्तोत्र और पूजा पाठ की जानकारी जरूर उपलब्ध है । यह साधना की जानकारी गुरुजनो से प्रपात की जा सकती इस की दीक्षा हासिल करके इस साधना को सिद्ध किया जा सकता ।

अर्थात् : जिसने ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति होती है और पाप-समूह नष्ट होते हैं ऐसे सद्-गुरू के मुख से प्राप्त ‘मत्रं ग्रहण को दीक्षा कहते है।

साधना को आरम्भ करने से पूर्व एक साधक को चाहिए कि वह मां भगवती की उपासना अथवा अन्य किसी भी देवी या देवता की उपासना निष्काम भाव से करे। उपासना का तात्पर्य सेवा से होता है। उपासना के तीन भेद कहे गये हैं:- कायिक अर्थात् शरीर से , वाचिक अर्थात् वाणी से और मानसिक- अर्थात् मन से। जब हम कायिक का अनुशरण करते हैं तो उसमें पाद्य, अर्घ्य, स्नान, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पंचोपचार पूजन अपने देवी देवता का किया जाता है। जब हम वाचिक का प्रयोग करते हैं तो अपने देवी देवता से सम्बन्धित स्तोत्र पाठ आदि किया जाता है अर्थात् अपने मुंह से उसकी कीर्ति का बखान करते हैं। और जब मानसिक क्रिया का अनुसरण करते हैं तो सम्बन्धित देवता का ध्यान और जप आदि किया जाता है।

Report this page